पुलिस अधिकारी बनकर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, एक गिरफ्तार

बांदा, 04 अप्रैल । पुलिस अधिकारी बनकर विभिन्न मुकदमों में वादी तथा प्रतिवादी से काम कराने का झांसा देकर पैसे की वसूली करने वाले गिरोह का थाना बिसंडा व साइबर थाना की संयुक्त टीम द्वारा पर्दाफाश किया है।पुलिस ने गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया गया। शेष अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम प्रयास कर रही हैं। अभियुक्तों द्वारा यूपी कॉप एप से विभिन्न मुकदमों की एफआईआर डॉउनलोड कर वादी को कार्यवाही का भरोसा देकर तथा प्रतिवादी को मुकदमा समाप्त करने का झांसा देकर पैसों की वसूली की जाती थी।अपर पुलिस अधीक्षक बांदा लक्ष्मी निवास मिश्र ने गुरुवार को बताया कि जिले के थाना बिसंडा क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम दफ्तरा के रहने वाले मनीष पटेल ने एक अप्रैल को पुलिस अधीक्षक बांदा के समक्ष प्रार्थना दिया कि 31 मार्च 2024 की शाम को एक पुलिस अधिकारी द्वारा मो.नं 9630390379 द्वारा उनके फोन पर कॉल करके कहा गया कि वह पुलिस अधीक्षक कार्यालय बांदा से बोल रहे है। उसने कहा कि तुम्हारी पत्नी ने तुम्हारे विरुद्ध मुकदमा लिखवाया है यदि मुकदमा समाप्त कराना चाहते हो इसी नम्बर पर 50 हजार रुपये पेटीएम से भेज दो। यदि तुमने ऐसा नहीं किया तो तुम्हे जेल जाना पड़ेगा। यह जानकारी मिलते ही पुलिस अधीक्षक बांदा ने साइबर थाना व थाना बिसंडा की संयुक्त पुलिस टीम को मामले के अनावरण व अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए लगाया गया।पुलिस टीम द्वारा सर्विलांस की मद्द से शिकायतकर्ता के पास आये कॉल के मोबाइल नम्बर की लोकेशन के आधार पर अभियुक्त को पुलिस टीम द्वारा थाना सेंदरी जनपद निवाड़ी (म.प्र.) पुलिस की सहायता से ग्राम तरीचर खुर्द से पूछताछ को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में अभियुक्त मानवेन्द्र उर्फ मोनू यादव पुत्र प्रभु दयाल यादव निवासी महेवा चक-2 थाना लेधौरा जनपद टीकमगढ़ द्वारा बताया गया कि उसके गांव महेवा के अधिकांश लड़के जालसाजी का काम करते हैं। वे उत्तर प्रदेश पुलिस के यूपी काप एप्लीकेशन के माध्यम से उ.प्र. के किसी भी जनपद के किसी भी थाने में पंजीकृत एफआईआर की कॉपी निकालकर उसका पूरा मामला समझते हैं। जिसके उपरांत पुलिस अधिकारी बनकर दूसरे के नाम पर जारी फर्जी नाम पता के सिमकार्ड से मुकदमें के वादी से वार्ता कर उन्हे कार्यवाही का विश्वास दिलाकर पैसे की वसूली करते हैं। साथ ही मुकदमें के वादी से प्रतिवादी का नम्बर लेकर प्रतिवादी से बात कर उसे मुकदमा समाप्त कराने का भरोसा दिलाकर पैसे की वसूली करते हैं। पैसे न देने पर जेल भेजने के लिए डराते हैं।गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा बताया गया कि उसको यह काम उसके गांव के ही राहुल यादव ने सिखाया था तथा वहीं सिमकार्ड व मोबाइल उपलब्ध कराता था। साथ ही किस खाते में पैसा लेना है वही बताता है। जो भी पैसा फर्जीवाड़े से मिलता है उसका 30 प्रतिशत राहुल लेता था। उसने स्वीकार किया कि 31 मार्च 2024 को उसने थाना बिसंडा के ग्राम दफ्तरा के रहने वाले मनीष पटेल को भी फोन किया था।अभियुक्त के कब्जे से फर्जीवाड़े में प्रयुक्त एक एंड्रायड फोन व एक फर्जी सिमकार्ड बरामद हुआ है।

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