गायत्री मंदिर पिहानी में बाबा शंकर की उतारी नजर, लगी हल्दी, पहिरे ला मुंडन क माला मगर दुलहा लजाला
‘पहिरे ला मुंडन क माला मगर दुलहा लजाला..’,‘दुलहा के देहीं से भस्मी छोड़ावा सखी हरदी लगावा ना…’, ‘शिव दुलहा के माथे पर सोहे चनरमा…।’ ये उन गीतों की पंक्तियां हैं जो शुक्रवार की शाम महाशिवरात्रि के पर्व पर गायत्री प्रज्ञा पीठ पर महिला संगीत में गूंज रही थीं। अवसर था भूतभावन के विवाह से पर हल्दी के लोकाचार का।
एक तरफ मंगल गीतों का गान हो रहा था दूसरी तरफ बाबा को हल्दी लगाई जा रही थी। हल्दी लगाते समय गवनहारिनों की टोली भगवान की स्वर सेवा करती रहीं।नंदी, शृंगी, भृंगी आदि गण नाच-नाच कर सारा काम कर रहे हैं। हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाकर महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति को चावल से चूमा। बाबा के तेल-हल्दी की रस्म पूर्व व्यवस्थापक देवेंद्र मिश्रा के सानिध्य में हुई। पूजन अर्चन का विधान नीलम शर्मा व साधना कपूर ने पूर्ण किये। बाबा को खास ठंडई, पान और पंचमेवा का भोग लगाया गया। इससे पूर्व बाबा का विशेष राजसी-स्वरूप में शृंगार सीमा व नूपुर ने किया। आशा गुप्ता व सीमा रस्तोगी ने शिव-पार्वती प्रसंग को नृत्य की भंगिमाओं व भावों के माध्यम से जीवंत किया। नृत्य सेवा की शुरुआत उन्होंने अर्धांग से की। ‘अर्धांग भस्म भभूत सोहे अर्ध मोहिनी रूप है’ पर भावपूर्ण नृत्य के बाद भगवान शिव के भजन ‘हे शिव शंकर हे गंगा धर करुणा कर करतार हरे’ पर भावनृत्य किया। समापन होली गीत पर नृत्य से किया। गीत के बोल थे ‘कैसी ये धूम मचाई बिरज में’।