रिक्ता तिथि में शपथ ग्रहण: प्रधानमंत्री मोदी के सामने 6 महीने कड़ी चुनौतियां, जनवरी के बाद होंगे बड़े फैसले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरे कार्यकाल के लिए हुई शपथ का समय ज्योतिष गणना के बाद परिवर्तित किया गया था। पहले शपथ ग्रहण का समय 9 जून शाम 6 बजे होने की खबरें थी लेकिन बाद में राहु काल के कारण समय में बदलाव किया गया।

रविवार को दिल्ली में राहु काल का समय शाम 5.34 से लेकर 7.18 बजे तक था और प्रधान मंत्री ने शाम 7.23 बजे शपथ ली। शपथ ग्रहण के समय पंचांग के पांच अंगों में से वार, नक्षत्र, योग और करण ज्योतिष के लिहाज से सही हैं जबकि चतुर्थी तिथि रिक्ता तिथि है और इस तिथि को शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

शपथ ग्रहण की कुंडली वृश्चिक लगन की निकली है और शपथ ग्रहण के समय चन्द्रमा गुरु के पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क राशि में भाग्य स्थान में गोचर कर रहे थे जबकि लगन का स्वमी मंगल शपथ ग्रहण कुंडली में छठे भाव में जाना बहुत शुभ नहीं है। हालाँकि पाप ग्रहों का तीसरे,छठे और ग्याहरवें भाव में जाना अच्छा होता है लेकिन लगन के स्वामी का छठे भाव में जाना शुभ नहीं है। यह रोग ऋण और शत्रु का भाव होता है और विवास भी इसी भाव से देखे जाते हैं लिहाजा सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रधान मंत्री को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 

शपथ ग्रहण के समय शनि,शुक्र और मंगल का अपनी ही राशि में होना बहुत अच्छा है , इनमे से भी शनि और मंगल तो अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ और मेष में गोचर कर रहे हैं। शपथ ग्रहण के समय गुरु में राहु की अंतर् दशा चल रही थी और इसे ज्योतिष की भाषा में दशा छिद्र कहते हैं हालाँकि दोनों गृह एक दुसरे से तीसरे और ग्याहरवें भाव में हैं लेकिन राहु चूँकि गुरु के भाव में हैं और गुरु मारक स्थान ( दूसरा भाव ) के भी स्वामी हैं लिहाजा यह भी ज्योतिष के लिहाज से अच्छा नहीं है और 19 जनवरी तक सरकार के समक्ष चुनौतियाँ ज्यादा रहेंगी। इसके बाद शनि की दशा शुरू होगी और शनि शपथ ग्रहण कुंडली में चौथे बहाव में अपनी ही राशि कुंभ में विराजमान है।

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