अमेरिका से पढ़ाई, राष्ट्रपति के आर्थिक सलाहकार… युद्ध के बीच मोहम्मद मुस्तफा बने फिलिस्तीन के नए PM

जरायल और हमास में जारी युद्ध के बीच फिलिस्तीन को नया प्रधानमंत्री मिल गया है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने मोहम्मद मुस्तफा को फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) के प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया है.स्थानीय मीडिया के मुताबिक मुस्तफा लंबे समय से राष्ट्रपति अब्बास के आर्थिक सलाहकार रहे हैं. नियुक्ति के बाद अब अर्थशास्त्री मोहम्मद मुस्तफा इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक और अन्य फिलिस्तीनी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करेंगे.मोहम्मद मुस्तफा ने पूर्व प्रधानमंत्री मोहम्मद शतयेह की जगह ली है, जिन्होंने कुछ दिनों पहले वेस्‍ट बैंक में बढ़ती हिंसा और गाजा में युद्ध के कारण फिलिस्तीन अथॉरिटी के प्रधानमंत्री पद से इस्‍तीफे दे दिया था. फिलिस्तीनी अथॉरिटी में सुधार को लेकर अमेरिकी दबाव के बीच मोहम्मद मुस्तफा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है.

30 साल पहले बना थी फिलिस्तीन अथॉरिटी

फिलिस्तीन अथॉरिटी को 30 साल पहले गठित किया गया था. अथॉरिटी का कब्जे वाले वेस्ट बैंक के कुछ हिस्से पर शासन चलता है. गाजा पट्टी में इसी अथॉरिटी का शासन था, लेकिन 2007 में हमास की बड़ी जीत के बाद पट्टी अथॉरिटी के कंट्रोल से बाहर हो गई. इसके बाद से हमास ही मिस्र के साथ लगती छोटी पट्टी पर शासन करता है, जहां की आबादी 20 लाख से ज्यादा है.

कौन हैं नए पीएम मोहम्मद मुस्तफा?

बता दें कि मोहम्मद मुस्तफा का जन्म वेस्ट बैंक शहर तुलकेरेम में सन 1954 में हुआ था. उन्होंने अमेरिका की जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से व्यवसाय प्रशासन और अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है. वह विश्व बैंक में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रह चुके हैं. मुस्तफा फिलिस्तीन में डिप्टी पीएम और अर्थव्यवस्था मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं. वह वर्तमान में फिलिस्तीन निवेश कोष के अध्यक्ष हैं.

भुखमरी के कगार पर लाखों फिलिस्तीनी

गाजा में इजरायल और हमास के बीच चल रही भीषण जंग के बीच हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं. सबसे ज्यादा वहां के आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. लाखों फिलिस्तीनी भूखमरी के कागार पर पहुंच गए हैं. लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. इसी बीच जॉर्डन से हवाई मदद जरूर पहुंचाई गई है. लेकिन ये मदद भी नाकाफी है. 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था. उसके बाद सबकुछ बदल गया. आज इज़रायल के हमले में गाज़ा पूरी तरह तबाह हो चुका है. चारों तरफ मकान के मलबे के सिवा कुछ भी नजर नहीं आ रहा. जान बचाने के लिए लोग समंदर किनारे भागे, लेकिन यहां खाने को कुछ भी नहीं मिला. बच्चे, बूढ़े और महिलाएं सभी दाने-दाने को मोहताज हैं.

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