भुखमरी की कगार पर पहुंचे लाखों फिलिस्तीनी, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- जल्द खत्म होगी जंग

गाजा में इजरायल और हमास के बीच चल रही भीषण जंग के बीच हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं. सबसे ज्यादा वहां के आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. लाखों फिलिस्तीनी भूखमरी के कागार पर पहुंच गए हैं.
लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. इसी बीच जॉर्डन से हवाई मदद जरूर पहुंचाई गई है. लेकिन ये मदद भी नाकाफी है. क्योंकि भूखे लोगों की संख्या लाखों में हैं, जबकि मदद के चंद पैकेट ही आसमान से नीचे बरसाए जा रहे हैं. इसी बीच हमास और इजरायल के बीच सीजफायर की सूचना भी सामने आ रही है.7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था. उसके बाद सबकुछ बदल गया. आज इज़रायल के हमले में गाज़ा पूरी तरह तबाह हो चुका है. चारों तरफ मकान के मलबे के सिवा कुछ भी नजर नहीं आ रहा. जान बचाने के लिए लोग सोमवार को समंदर किनारे भागे, लेकिन यहां खाने को कुछ भी नहीं मिला. बच्चे, बूढ़े और महिलाएं सभी दाने-दाने को मोहताज हैं. कहीं से कोई मदद पहुंचती लोग दौड़ जाते हैं. इस बीच धमाके और गोलियों की आवाजें भी सुनने को मिल रही हैं. लोग यहां-वहां भागते भी नजरआ रहे हैं.सोमवार को जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला की तरफ से खाद्य और चिकित्सा मदद हवाई ड्रॉप ऑपरेशन के ज़रिए पहुंचाया गया. इसके लिए चार सी-130 विमान तैनात किए गए. हालांकि इस हवाई ड्रॉपिंग के दौरान कुछ कुछ सामाग्री समुद्र में गिर गया. इसे नावों से वापस लाया गया. इजरायली हमलों की वजह से गाजा की 23 लाख की आबादी में से 85 फीसदी लोग भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. अब ये लोग अरब देशों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन मदद के नाम पर इन लोगों को सिर्फ और सिर्फ भरोसा मिल रहा है.
इस बीच सबसे बड़ी राहत की बात ये है कि इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष के थमने के आसार दिखने लगे हैं. गाजा में सीजफायर के लिए जहां फ्रांस, कतर और मिस्र में कई कई दौर की बातचीत हुई हैं. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उम्मीद जताई है कि अगले सोमवार तक इजरायल-हमास संघर्ष में युद्धविराम हो जाएगा. कॉमेडियन सेठ मेयर्स के साथ सोमवार को न्यूयॉर्क शहर में एक आइसक्रीम की दुकान पर पहुंचे बाइडेन से पूछा गया कि युद्धविराम कब शुरू हो सकता है, तो उन्होंने कहा कि इस वीकेंड तक.
इससे एक दिन पहले ही अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बताया था कि गाजा संकट को लेकर इजरायल, अमेरिका, मिस्र और कतर के प्रतिनिधियों ने पेरिस में मुलाकात की है. इस दौरान अस्थायी संघर्षविराम के बदले हमास की ओर से बंधक बनाए गए इजरायली नागरिकों को रिहा करने पर सहमति बन गई है. पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला कर 1200 लोगों को मार डाला था, जबकि 250 लोगों को बंधक बना लिया था. इसके बदले की कार्रवाई के तहत इजरायल ने गाजा में कहर ढा दिया.
इजरायली सेना का गाजा के रफाह में एयर स्ट्राइक, एक ही परिवार के आठ लोगों की मौतइजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के साथ जारी जंग खत्म होने के बाद गाजा के प्रशासन की योजना पेश की है. इस योजना के मुताबिक इजरायल गाजा पट्टी की सुरक्षा को अनिश्चित काल के लिए अपने हाथ में रखेगा. इसके साथ ही गाजा को पूरी तरह डिमिलटराइज करेगा. मिस्र के साथ लगी सीमा पर भूमिगत तस्करी रोकने के लिए मज़बूत सुरक्षा का भी इंतज़ाम करेगा. इसके अलावा जॉर्डन के पश्चिम में जल, थल और हवाई क्षेत्र पर इजरायल का कब्जा रहेगा. इस योजना को पेश करने से पहले इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दो राष्ट्र सिद्धांत को भी खारिज किया है.

नेतन्याहू- पूर्ण विजय के बाद ही स्थापित होगी शांति

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “इजराइल के लोग और उनके चुने हुए प्रतिनिधि आज इतने एकजुट हैं जितना पहले कभी नहीं थे. नेसेट ने इजराइल पर एकतरफा फिलिस्तीनी राज्य थोपने के किसी भी प्रयास का विरोध करने के लिए भारी मतदान किया. इस तरह का प्रयास केवल इज़राइल को खतरे में डालेगा और उस वास्तविक शांति को रोक देगा जो हम सभी चाहते हैं. शांति तभी प्राप्त की जा सकती है जब हम हमास पर पूर्ण विजय प्राप्त कर लें.” दरअसल, इजरायल हमास के साथ चल रहे जंग खत्म होने के बाद गाजा को अपने नियंत्रण में ही रखना चाहता है.

गाजा में फिलिस्तीनी अथॉरिटी को चाहता है अमेरिका

इके विपरीत अमेरिका चाहता है कि वेस्ट बैंक का प्रशासन देखने वाले फिलिस्तीनी अथॉरिटी को ही गाजा के प्रशासन की ज़िम्मेदारी दी जाए. लेकिन प्रधानमंत्री नेतान्याहू की ओर से अपने मंत्रियों को दी इस योजना में फिलिस्तीनी अथॉरिटी का कोई ज़िक्र नहीं है. वहीं फिलिस्तीनी अथॉरिटी के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास के प्रवक्ता ने इजरायल की इस योजना को खारिज किया है. हमास ने भी इजरायल की इस योजना खारिज करते हुए गाजा पर कब्जे की योजना बताया है. इनके सबके बीच सबसे ज्यादा तबाह वो आम फिलिस्तीनी लोग हैं, जिनका किसी से कोई सरोकार नहीं है.

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