अयोध्‍या: रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा का काशी में मूहूर्त निकला, इस शुभ घड़ी में होगी स्‍थापना

अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर बने भव्य राममंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को पीएम नरेन्द्र मोदी के हाथों होगी। रामलला की मूर्ति की स्थापना का विशिष्ट मुहूर्त 22 जनवरी को मध्याह्न 12 बज कर 29 मिनट आठ सेकेंड से आरंभ होगा।त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के समय लक्ष्मण को शक्ति लगी तो भक्त हनुमान ने संजीवनी लाकर आर्यावर्त का शोक दूर कर सनातनियों को आनंद से भर दिया था। आधुनिक भारत में पांच सौ वर्षों की प्रतीक्षा के बाद जब अयोध्या में राम मंदिर के पुन निर्माण से सनातनियों का संताप दूर हुआ है तो इस आनंद को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए काशी के द्रविड़ बंधु हनुमान बन गए हैं। पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ और पं. विश्वेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के लिए ‘संजीवनी’ मुहूर्त निकाला है। रामघाट स्थित श्री वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय के द्रविड़ बंधुओं ने 22 जनवरी का जो मुहूर्त निकाला है, उसे महाकवि कालिदास ने अपनी कृति ‘पूर्वकालामृत’ में संजीवनी मुहूर्त कहा है। इसकी विशिष्टता यह है कि किसी भी मुहूर्त में दोष उत्पन्न करने वाले पांच बाण यानी रोग बाण, मृत्यु बाण, राज बाण, चोर बाण और अग्नि बाण में कोई बाण संजीवनी मुहूर्त में नहीं रहेगा। पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बताया कि ये पांचों बाण अपने नाम के अनुरूप प्रभाव छोड़ते हैं।

स्वगृही रहेंगे छह ग्रह
इस मुहूर्त की दूसरी विशेषता यह है कि उस दौरान नौ ग्रहों में से छह मित्र ग्रह के रूप में अपने घरों में रहेंगे। मेष लग्न का गुरु इस मुहूर्त का प्राण है। लग्नस्थ गुरु की पूर्ण दृष्टि पांचवें, सातवें और नौवें घर पर पड़ रही है। ऐसा होना अत्यंत शुभकारी है। लग्नस्थ गुरु सर्वदोषों का शमन करने में समर्थ होता है। वहीं मित्र ग्रह के रूप में दूसरे घर में उच्च का चंद्रमा, छठे घर में केतु, नौवें घर में बुध और शुक्र तथा 11वें घर में शनि विराजमान हैं। शास्त्रों के अनुसार नौवें घर के बुध सौ दोषों और शुक्र दो सौ दोषों का निवारण करने में अकेले सक्षम होते हैं।

काशी के समस्त तीर्थों के जल से अभिषेक
प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में अधिवास का विशेष महत्व होता है। इनमें जलाधिवास, धान्याधिवास, पुष्पाधिवस, फलाधिवास और शैय्याधिवास की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए होने वाले जलाधिवास में एक हजार छिद्र वाले घड़े से सहस्र छिद्राभिषेक होगा। यह घड़ा भी काशी में तैयार हो रहा है। इस घड़े में देश के समस्त तीर्थों, पवित्र नदियों और समुद्र का जल भर कर रामलला का अभिषेक किया जाएगा। वहीं काशी में विद्यमान समस्त तीर्थों के जल को गाय के सींग से बनी शृंगी में भर कर अभिषेक होगा।

नौ आकार के नौ मंडपों में होंगे अनुष्ठान
काशी के वैदिकों के सुझाव पर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए नौ मंडप बनाए गए हैं। इन मंडपों में नौ आकार के हवन कुंडों का निर्माण होगा। सूत्रों के अनुसार कुंडों के निर्माण अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देश पर उनके पुत्र पं. अरुण दीक्षित शीघ्र ही अयोध्या रवाना होने वाले हैं। सभी नौ मंडपों में एक साथ अनुष्ठान होंगे। शास्त्रत्तें के अनुसार कुंडों की नौ आकृतियां चतुष्कोणीय, पद्मकारा, अर्द्धचंद्र, त्रिकोण, वृत्ताकार, योनिकार, षटकोणीय, अष्टकोणीय होती हैं। एक प्रधान कुंड होता है।

काशी से अयोध्या जाएंगी नौ समिधाएं
अयोध्या में निर्मित नौ मंडपों के नौ कुंडों में प्रयुक्त होने वाली नौ प्रकार की समिधाएं काशी के ही वैदिक ले जाएंगे। प्रत्येक कुंड में एक समिधा से हवन होगा। इन समिधाओं में पलाश, खैर, अर्क, गूलर, पीपल, पाकड़, शमी, कुशा, दुर्वा शामिल हैं। इनके अलावा अनुष्ठान में प्रयुक्त होने वाले कसाय (काढ़ा) के लिए विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों की छाल, मूल और पत्तियों का भी काशी में संग्रह हो रहा है। यह काढ़ा तैयार करने के लिए 51 प्रकार की औषधियां गोला दीनानाथ से खरीदी जाएंगी।

चारों वेदों के 51 विद्वान काशी का करेंगे प्रतिनिधित्व
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए होने वाले अनुष्ठान में कुल 121 वैदिक शामिल होंगे। इनमें सर्वाधिक 51 वैदिक काशी के होंगे जो चारों वेदों की मूल शाखाओं का पारायण करेंगे। अब तक 35 विद्वानों के नाम फाइनल हो चुके हैं। शेष नाम पर जल्द ही अंतिम निर्णय कर लिया जाएगा। कांची पीठाधीश्वर की पहल पर शुक्ल यजुर्वेद के अधिकृत विद्वानों को कांचित से आमंत्रित किया गया है।

भारत के गुरुत्व को बल देगा प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त
अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए काशी में निकाला गया मुहूर्त विश्व में भारत के गुरुत्व को बल देगा। मेष लग्न के गुरु के कुंडली के केंद्र में होने का सभी घरों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा। काशी के वैदिक विद्वान पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बताया कि मेष लग्न का गुरु होने से रामजी की राज्यवृद्धि होगी अर्थात् नीति के अनुसार शासन चलेगा। प्रतिष्ठा के मुहूर्त में रामजी के नक्षत्र पुनर्वसु को ध्यान में रखा गया है। इस दृष्टि से मृगशीर्ष नक्षत्र 26वां नक्षत्र है। इसका भी शुभाशुभ परिणाम मिलेगा। राम जन्मभूमि में रामलला की मूर्ति की स्थापना का विशिष्ट मुहूर्त 22 जनवरी को मध्याह्न 12 बज कर 29 मिनट आठ सेकेंड से आरंभ होगा। इस मुहूर्त में गुरु मित्रगृही होकर नवांश में उच्च का रहेगा। इसके प्रभाव से भारत विश्व में बलवान बनकर उभरेगा। मुहूर्त में विचार किए जाने वाले कुल 16 वर्गों में 10 वर्ग भी अत्यंत शुभ हैं। इन 10 वर्गों में चंद्रहोरा, द्रेकाण, सप्तमांश, दशमांश, षोडशांश, विनशांश, भांश, त्रिंशांश, पंचतत्वारिंशांश एवं षष्टत्रंश शामिल हैं। वहीं पांच बाण में एक भी बाण नहीं होने से भी इन 10 वर्गों की स्थिति और सुदृढ़ रहेगी।

नहीं है कालसर्प दोष की स्थिति
अन्य ग्रहों के राहु-केतु के चारों तरफ न होकर सिर्फ दो तरफ होने से काल सर्प दोष की स्थिति भी नहीं बन रही है। सूर्य के मकर राशि में होने से पौषमास का दोष भी समाप्त हो गया है। मुहूर्त काल में मेष लग्न से द्वादश स्थान पर राहु, नवम स्थान पर मंगल और दशम स्थान पर सूर्य रहेंगे। शास्त्रत्तें में इनके प्रभाव को पर्याप्त मात्रा में स्वर्णदान से समाप्त करने का उपाय बताया गया है। वैसे शास्त्रत्तें में कहा गया है कि लग्न में गुरु के होने से इनका दोष स्वयमेव समाप्त हो जाता है। सूर्य के अभिजीत में होने से मृगशीर्ष नक्षत्र भी शुभ फलदायी हो गया है। फिर भी प्रचुर मात्रा में दान करने से राम मंदिर की प्रतिष्ठा संपूर्ण विश्व के लिए कल्याणकारी हो जाएगी।

अवश्य करनी चाहिए मुहूर्त शुद्धि
मुहूर्त कितना भी शुद्ध क्यों न हो, उसकी शुद्धि का विधान अवश्य करना चाहिए। मुहूर्त शुद्धि के लिए स्वर्ण दान सबसे उत्तम माना गया है। अत 20 जनवरी 2024, शनिवार के सूर्योदय से पूर्व मुहूर्त शुद्धि का संकल्प करना चाहिए। इसके लिए 19 जनवरी 2024 को सायं काल छह बजे से छह बजकर 20 मिनट तक का समय सर्वोत्तम है।

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