मुख्यमंत्री योगी के एक फैसले से गदगद नोएडा-ग्रेटर नोएडा, बदल सकती है पूरी तस्वीर; किसे क्या फायदा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लखनऊ में हुई कैबिनेट बैठक में अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लागू करने पर मुहर लगा दी गई। यह फैसला बिल्डर और फ्लैट खरीदारों के लिए बड़ी राहत है।

बिल्डरों का मानना है कि इससे जहां गौतमबुद्ध नगर जिले के लाखों आवंटी फ्लैट की रजिस्ट्री करा सकेंगे, वहीं रियल इस्टेट सेक्टर को भी रफ्तार मिलेगी।

योगी कैबिनेट के फैसले के बाद अब अगले एक-दो महीने में रजिस्ट्री शुरू होने की उम्मीद है। अधिकारियों का कहना है कि नई गणना के तहत कुल बकाये में से 25 प्रतिशत पैसा जल्द बिल्डरों को प्राधिकरण को देना होगा। इसके बाद उसी अनुपात में प्राधिकरण रजिस्ट्री की अनुमति देगा। बाकी रुपये बिल्डरों को तीन साल में देने होंगे। हालांकि, इस बारे में अभी प्राधिकरण के अधिकारी कुछ भी जानकारी होने से इनकार कर रहे हैं।

नोएडा में ऑन गोईंग करीब 57 परियोजनाओं में लगभग 61 हजार फ्लैट पाने और रजिस्ट्री के इंतजार में हैं। इनमें से करीब 34 हजार खरीदारों की रजिस्ट्री होनी है और 27 हजार को फ्लैट पर कब्जा मिलना है। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि नोएडा में ग्रुप हाउसिंग के बिल्डरों पर प्राधिकरण का करीब 28 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। इनमें से एनसीएलटी में चल रही 17 और उच्चतम न्यायालय में चल रही करीब 14 परियोजनाओं के बिल्डरों पर 7800 करोड़ रुपये बकाया है। ऐसे में बिना किसी विवाद के चल रही परियाजनाओं के बिल्डरों पर करीब 20 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। बिल्डर करीब पांच-छह साल से बकाया नहीं चुका रहे हैं, इससे उनका बकाया बढ़ता जा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने नवंबर 2022 में प्राधिकरण के तर्क को सही मान तय ब्याज दरों पर बिल्डरों को बकाया जमा करने का आदेश दिया था, लेकिन बिल्डरों ने पैसा जमा नहीं किया।

समिति ने एक अप्रैल 2020 से मार्च 2022 तक कोरोना से प्रभावित कालखंड को जीरो पीरियड मानते हुए बिल्डरों को इस अवधि में ब्याज में छूट देने की भी संस्तुति की थी। ब्याज में छूट देने से प्राधिकरण को करीब 5600 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। न्यायालय में चल रही परियोजनाओं को फायदा होने की उम्मीद नहीं कैबिनेट का फैसला क्या उन परियोजनाओं पर भी लागू होगा, जिनके मामले एनसीएलटी और उच्चतम न्यायालय में चल रहे हैं, इसको लेकर संशय बना हुआ है। सूत्रों की मानें तो फैसले से आम्रपाली, यूनिटेक, सुपरटेक जैसी परियोजनाओं का फायदा नहीं मिल पाएगा। इन्हीं में अधिकतर खरीदार फंसे हैं।

स्पोर्ट्स सिटी के लिए प्राधिकरण को बोर्ड का फैसला बदलना होगा स्पोर्ट्स परियोजनाओं के लिए नक्शा पास करने, अधिभोग प्रमाण पत्र जारी करने, भूखंड का सबडिवीजन करने समेत सभी तरह के कामकाज पर प्राधिकरण ने रोक लगाई हुई है। स्पोटर्स सिटी को लेकर सीएजी की आपत्तियों पर लोक लेखा समिति सुनवाई कर रही है। अब कैबिनेट के फैसले को लागू करने के लिए प्राधिकरण को बोर्ड बैठक में लगी सभी रोक को हटाने के निर्णय को वापस लेना होगा।

इस फैसले से बिल्डरों का वित्तीय दबाव कम होगा
क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष और गौर ग्रुप के सीएमडी मनोज गौर ने कहा कि सरकार का जीरो पीरियड पर ब्याज माफी का निर्णय स्वागत योग्य है। इस कदम से ढाई लाख से अधिक घर खरीदारों को सीधा लाभ मिलेगा। इससे न सिर्फ बिल्डरों का फाइनेंशियल दबाव कम होगा, बल्कि रियल इस्टेट सेक्टर को मजबूती भी मिलेगी।

खरीदारों के हित में सही कदम: सांसद
गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि वह संसद फ्लैट की रजिस्ट्री का मामला उठा चुके हैं। अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लागू कराने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की थी। इन सिफारिशों के पास होने पर वह मुख्यमंत्री का आभार जताते हैं। यह फैसला फ्लैट खरीदारों के हित में है, उनके फ्लैट की रजिस्ट्री हो सकेंगी।

क्या कह रहे हैं बिल्डर्स
काउंटी ग्रुप के डायरेक्टर अमित मोदी ने बताया कि साल 2023 रियल इस्टेट सेक्टर के लिए ऊर्जा भरा रहा है। सरकार का यह निर्णय न सिर्फ खरीदारों बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर और डेवलपर्स के लिए भी बेहतरीन है। इस निर्णय से खरीदारों को घर मिलेगा और अथॉरिटी को उनकी बकाया फीस मिलेगी। वहीं, रजिस्ट्री शुरू होने से सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।

मिग्सन ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर यश मिगलानी का कहना है कि सरकार का यह कदम पूरी तरह से लाखों लोगों के हित में है। आने वाले समय में रियल इस्टेट सेक्टर में निवेश बढ़ेगा। अजनारा ग्रुप के संचालक प्रमोद गुप्ता ने कहा कि सरकार का यह कदम पूरी तरह से लाखों लोगों के हित में है। मालिकाना हक का इंतजार कर रहे लोग फ्लैट की रजिस्ट्री करा सकेंगे।

स्पैक्ट्रम ग्रुप के मनोज राय ने कहा कि सरकार का यह फैसला काफी राहत भरा है। सालों से फ्लैट की, जो रजिस्ट्री अटकी थी, वह आसानी से हो सकेंगी। इस फैसले से रियल इस्टेट सेक्टर को भी संजीवनी मिलेगी। लंबे समय से, जो बिल्डर प्रोजेक्ट बंद थे, वे भी शुरू हो सकेंगे।

क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के सचिव दिनेश गुप्ता ने कहा कि इस कदम से फ्लैटों के पंजीकरण की प्रक्रिया तेज हो जाएगी। अब स्पोर्ट्स सिटी, वाणिज्यिक और मनोरंजन श्रेणी की परियोजनाओं के लिए सिफारिशों पर विचार करने और उन्हें लागू करने का अनुरोध करेंगे। क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के संयुक्त सचिव निखिल हवेलिया ने कहा कि सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। इससे रुके हुए प्रोजेक्ट पूरे हो सकेंगे।

सीईओ ने क्या कहा?
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने कहा कि कैबिनेट के मिनट्स आने के बाद ही आगे की प्रक्रिया होगी। जीरो पीरियड का लाभ देने के लिए बकाये की नए सिरे से गणना कराई जाएगी। फ्लैट खरीदारों को राहत देने के लिए हर कदम उठाएंगे।

अटकी परियोजनाओं का काम फिर शुरू होगा
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की समिति की सिफारिशें लागू होने से ग्रेटर नोएडा एवं यमुना प्राधिकरण में करीब 71 हजार फ्लैट की रजिस्ट्री हो सकेंगी। साथ ही, दो साल का जीरो पीरियड मिलने से रुके हुए प्रोजेक्ट पूरे हो सकेंगे। हालांकि, इससे ग्रेटर नोएडा को करीब 8500 और यमुना प्राधिकरण को 2500 करोड़ रुपये की हानि होगी। समिति की सिफारिशों में कहा गया है कि बिल्डरों से बकाये का 25 प्रतिशत लेकर रजिस्ट्री कराई जाएं। बचा हुआ 75 प्रतिशत पैसा तीन साल में लिया जाए। बिल्डरों को पहली अप्रैल से 2020 से 31 मार्च 2022 तक का जीरो पीरियड दिया गया है, यानि इस दौरान बिल्डरों पर किसी तरह का जुर्माना आदि नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा लगाए गए जुर्माने पर भी कुछ छूट दी गई है। अब इससे जुड़ी संस्थाएं समिति की सिफारिशों की डिटेल का इंतजार कर रही हैं ताकि वह इस दिशा में आगे बढ़ सकें।

कई प्रोजेक्ट का मामला एनसीएलटी में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में 1.43 लाख यूनिट (फ्लैट) की रजिस्ट्री होनी है। इसमें से आम्रपाली की परियोजनाओं के 38000 और एनसीएलटी में गए 21 प्रोजेक्ट के 41000 फ्लैट शामिल हैं। इन सिफारिशों से 61000 फ्लैट की रजिस्ट्री हो सकती है। इसी तरह यमुना प्राधिकरण में करीब 10 हजार फ्लैट की रजिस्ट्री हो सकती है। यहां करीब 4600 फ्लैट उन परियोजनाओं में हैं, जिनके मामले में कोर्ट में लंबित है। सिफारिशों में कोर्ट केस के बारे में कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। बिल्डरों पर 14500 का बकाया अगर बकाये की बात करें तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 124 बिल्डर प्रोजेक्ट में 14500 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसमें से आम्रपाली परियोजना के 6061 करोड़ और एनसीएलटी में गई परियोजनाओं के 2450 करोड़ रुपये शामिल हैं। अब प्राधिकरण को 95 प्रोजेक्ट से 5600 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। यीडा का 4800 करोड़ रुपये बकाया यमुना विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में नौ बिल्डरों को ग्रुप हाउसिंग के लिए जमीन आवंटित की गई। इन बिल्डरों पर प्राधिकरण का 4800 करोड़ रुपये का बकाया है।

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