मुर्गा मण्डी को लेकर घमासान:मीट व्यापार पर वर्चस्व की लड़ाई,नामी मीट प्लांट के रिश्तेदारों पर लगाया उधाई का आरोप

मेरठ – उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहाँ पहले ही मीट व्यापार पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रही है। वही मेरठ में मेरठ का एक मीट कारोबारी जो राजनीति से बड़ी दखल रखता है और मेरठ के नामी सलैटर हाउस का मालिक है यहां आपको यह भी बता दे की मेरठ में केवल तीन ही मीट प्लांट लगे हुए है। जिनमें से 2 मीट प्लांट किसी न किसी कारणवश बंद कर दिए गए है। वही मेरठ शहर का सरकारी कमेला पहले से ही बंद है।सरकार की पाबंदियों के चलते पहले से ही मीट कटान को लेकर अंदर खाने कुरैशी बिरादरी में वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी जिसका पटावेश तब हुआ जब मेरठ में चल रहे मात्र एक सलैटर हाउस द्वारा नियमों को ताक पर रखकर अपने सलैटर हाउस मे दो-तीन हजार रुपए लेकर अवैध तरीके से भैंस कटान कर मार्केट में मीट सप्लाई कराया जा रहा है या यूं कहिये की अवैध तरीके से काटे गए मीट को इस राजनीतिक पहुंच वाले फैक्ट्री मालिक के संरक्षण में बेचा जा रहा है। भैंस के मीट पर और उसकी बिक्री पर कब्जा करने के बाद अब उसकी नज़र मुर्गा व्यापार पर कब्जा जमाने की है। मेरठ शहर में जहां अलग-अलग मंण्डियो के माध्यम से करोड़ों रुपए रोज का मुर्गा व्यापार होता है। वही इन मंण्डियो से छोटे-छोटे व्यापारी मुर्गे लेजाकर गली मोहल्ले में दुकानों पर बेचते है।जिससे उन लोगो के जीविका चलती है।

यहां आपको यह बताना आवश्यक है की इस व्यापार से खास बिरादरी कुरैशी (कसाई) जुडी हुई है और इस बिरादरी में इस व्यापार पर वर्चस्व की लड़ाई या यू कहिये कब्जे की लड़ाई हमेशा से चलती चली आई है।अब इसी कढ़ी मे मुर्गे व्यापार पर कब्जे के लिए राजनीतिक पहुंच वाले मीट प्लांट के मालिक अपने बेटे व दामाद के जरिये इस व्यापार पर अपना कब्जा जमाना चाहते हैं।अब वह लड़ाई खुलकर रोड पर आ गयीं है और मुर्गा मण्डी एसोसिएशन ने एसएसपी महोदय व शासन से एक शिकायत पत्र देकर मेरठ के पूर्व सांसद एवं नामी मीट प्लांट के मालिक के बेटे साकिब व उसके दामाद आकिब पर आरोप लगाया की इन लोगो के द्वारा मुर्गा व्यापारियों को धमकाने एवं अवैध वसूली करने का आरोप लगाया और इन्होंने इस बात से रुष्ट होकर कार्यवाही ना होने तक मुर्गा मंडी व मुर्गा व्यापार को बंद रखने का ऐलान किया है और इसी कड़ी मे रविवार यानि 26 मई को समस्त मुर्गा मण्डी व मुर्गे की दुकाने व्यापारियों द्वारा बंद रखी गई नतीजा चाहे कुछ भी हो इन गरीब व्यापारियों और बड़े शमायेदारों के बीच पिसना गरीब का ही होता है।इसका उदाहरण मेरठ में भैंस के मीट के व्यापार पर इस व्यापारी हुए कब्जे को देखकर लगाया जा सकता है जहाँ आज भी इसके द्वारा सरकार से बने यह सारे नियम और कानूनों को ताक पर रखकर भैंस कटान कर और गरीबो का शोषण कर शहर में मीट सप्लाई किया जा रहा है अब देखना यह है की इन गरीब मुर्गा व्यापारियों की आवाज सरकार सुनती है या पूर्व के भैंस व्यापारियों की तरह इनकी आवाज को भी दबा दिया जाता है।

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