नई दिल्ली. ट्रेन का आविष्कार व निर्माण लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक कम समय में सुविधाजनक तरीके से पहुंचाने के लिए किया गया था. भारत के लगभग हर हिस्से में रेलवे का नेटवर्क है, जिसकी मदद से लोग आसानी से सफर कर सकते हैं.तब क्या हो जब इन्हीं सुविधाओं का लोग गलत प्रयोग करने लगें. जी जहां, इस वक्त एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वंदेभारत ट्रेन में रिजर्वेशन कराकर यात्रा करने वाले एक शख्स ने केवल सीट ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र को भी अपना समझने की गुस्ताखी कर दी.दरअसल, हुआ कुछ यूं कि चेन्नई वंदेभारत ट्रेन से एक पिक्चर इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि सीट के आगे लगी खाने की ट्रे पर कैसे एक शख्स पैर रखकर सो रहा है. इस ट्रे का इस्तेमाल यात्रा के दौरान सवारियों को दिए जाने वाले रिफ्रेशमेंट को. खाने के लिए होता है लेकिन इस यात्री ने इसे अपनी निजी संपत्ति समझने की भूल कर दी. यह तस्वीर पहले इंस्टाग्राम पर शेयर की गई. बाद में ट्विटर पर भी यह वायरल होने लगी. बड़ी संख्या में लोगों ने इसपर कमेंट किया. इसपर रेलवे के आला अधिकारियों को भी टैग किया गया.
मुख्य परियोजना प्रबंधक ने दिया जवाब
भारतीय रेलवे के मुख्य परियोजना प्रबंधक अनंत रूपानागुडी ने तस्वीर पर प्रतिक्रिया देते हुए सभी यात्रियों से अपील की, ‘कृपया फिटिंग का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए करें जिसके लिए वे बनी हैं. वे आपके पैसे से आपके लिए बनाए गए हैं और इसलिए उन फिटिंग्स के प्रति आपकी जिम्मेदारी है. वंदे भारत ट्रेनों को काफी लागत पर बनाया गया है. कृपया जिम्मेदारी से यात्रा करें”.
Please use the fittings for the purpose they are meant for. They have been created for you with your money and hence you have a responsibility towards those fittings. And these trains are built at a considerable cost. Please travel responsibly. #VandeBharat https://t.co/Cal0VpmAXM
— Ananth Rupanagudi (@Ananth_IRAS) December 25, 2023
सोशल मीडिया पर एक अलग थ्रेड में रूपनगुडी ने कहा कि उनका वंदेभारत ट्रेनों की उस इकाई में ट्रांसफर कर दिया गया है जो इन ट्रेनों का निर्माण करती है. यात्रियों से उन्हें जो फीडबैक मिला है, उसे अपने सहकर्मियों तक पहुंचा दिया गया है. “इस मंच पर इतनी अधिक प्रतिक्रिया मिलने के बाद, मैंने अपने सहयोगियों से कहा है कि हम बहुत कुछ कर सकते हैं.” “लोग चिपके हुए स्नैक ट्रे, कहीं ढीली फिटिंग, सख्त सीटें, खराब फिनिशिंग और कारीगरी की क्लोज-अप तस्वीरें पोस्ट करते हैं. बेशक, आईसीएफ फीडबैक को गंभीरता से लेता है और समय की कमी के बावजूद, कारखाने से निकलने वाली प्रत्येक इकाई में सुधार करने का प्रयास करता है.