लहसुन के तेवर नहीं हो रहे नरम, मुर्गे से महंगा हुआ मसाला

दाल में तड़का हो या कोई सब्जी। स्वाद में जान लाने का काम करने वाला लहसुन बल्लियों उछल रहा है। नॉनवेज खाने वालों की तकलीफ कुछ ज्यादा ही है। चिकन जहां 200 से 300 रुपये किलो बिक रहा है तो वहीं लहसुन 400 से 600 रुपये किलो।

नॉनवेज में प्याज और लहसून का प्रयोग बहुत अधिक होता है। इनमें अब खड़ा लहसुन खाने का चलन भी बढ़ गया है।

लहसुन के तेवर अभी कम होने के नाम नहीं ले रहे। यह अभी भी कई शहर में 600 रुपये किलो तक बिक रहा है। हालांकि, अधिकांश शहरों में इसकी कीमत पिछले कुछ महीनों में 200-280 रुपये प्रति किलोग्राम से लगभग दोगुनी होकर 400 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। लहसुन की कीमतों में उछाल के पीछे इसके उत्पादन और बाजारों में इसकी आवक में भारी गिरावट के कारण है।

बुआई और कटाई में देरी के कारण बेंगलुरु के बाजारों में लहसुन की कीमत आसमान छू रही है। यशवंतपुर में एपीएमसी यार्ड में, लहसुन शुक्रवार को ₹350 प्रति किलोग्राम पर बिका, जबकि खुदरा बाजारों में कीमत ₹500 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई। इस उछाल से पहले, थोक बाजारों में प्रति किलोग्राम लहसुन की बिक्री कीमत लगभग ₹100-₹250 और खुदरा बाजारों में ₹200-₹350 थी।

क्यों बढ़ रही लहसुन की कीमतें: जनवरी 2024 से फरवरी 2024 तक लहसुन की मासिक आवक 5.2 लाख मीट्रिक टन से घटकर 4.8 लाख मीट्रिक टन रह गई, जो स्पलाई में संभावित कमी का संकेत देता है। दिसंबर 2023 में लहसुन की कीमत 150 रुपये प्रति किलोग्राम थी और जनवरी 2024 में 145 प्रति किलोग्राम।

केडिया कमोडिटिज के प्रेसीडेंट अजय केडिया के मुताबिक हाल ही में भुवनेश्वर में लहसुन की कीमतें पिछले सप्ताह में बढ़ी हैं, खुदरा कीमतें 450 रुपये प्रति किलोग्राम और थोक कीमतें 320 रुपये से 350 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच हैं। पिछले साल उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में खराब या बेमौसम बारिश के कारण फसल खराब हो गई थी, जिससे आपूर्ति में कमी आई थी। नई फसल की कटाई में देरी के कारण भी सप्लाई पर दबाव पड़ा है।

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