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संसद के निचले सदन की स्पीकर याइल ब्रौन-पिवेट ने संयुक्त सत्र की शुरुआत करते हुए कहा कि फ्रांस यह कदम उठाने वाला पहला देश है। उन्होंने कहा, मुझे संसद पर गर्व है, जिसने गर्भपात के अधिकार को हमारे मूल कानून में शामिल किया। वहीं, विधेयक पारित होने से पहले फ्रांसीसी प्रधानमंत्री गेब्रियल अटल ने कहा कि हम सभी महिलाओं को यह संदेश दे रहे हैं कि वे अपने बारे में खुद निर्णय ले सकती हैं।
गर्भपात विरोधी कार्यकर्ताओं ने की आलोचना
वहीं, गर्भपात विरोधी संगठनों और कार्यकर्ताओं ने विधेयक को मंजूरी देने के संसद के फैसले की आलोचना की है। उनका कहना है कि राष्ट्रपति मैक्रों राजनीतिक फायदे के लिए कानून का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने इसे ऐतिहासिक कदम कहने पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि फ्रांस में पहले से ही गर्भपात का कानूनी अधिकार है। फ्रांस में 1974 से महिलाओं को गर्भपात का कानूनी अधिकार मिला हुआ है।