Exit Poll 2024: बिहार-झारखंड में बीजेपी को नीतीश और हेमंत सोरेन से कितनी ‘नुकसान’?

Exit Poll 2024 की मानें तो बिहार और झारखंड दोनों ही राज्यों में बीजेपी को 2019 के मुकाबले फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ रहा है – हैरानी की बात ये है कि ये सब तब हो रहा है, जब नीतीश कुमार को बीजेपी INDIA ब्लॉक से झटक लिया है.

 

बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को बिहार में 48 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है, जबकि झारखंड में एनडीए को 50 फीसदी वोट शेयर हासिल हो सकता है – INDIA ब्लॉक के वोट शेयर की बात करें तो बिहार में 42 फीसदी, और झारखंड में 41 फीसदी तक होने का अंदाजा है.

जैसे बिहार में नीतीश कुमार की इंडिया ब्लॉक से एनडीए में वापसी महत्वपूर्ण फैक्टर है, ठीक वैसे ही झारखंड की राजनीति में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का भी बीजेपी के प्रदर्शन में थोड़ा असर लगता है.

क्या कहते हैं बिहार और झारखंड के एग्जिट पोल के नतीजे?

बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी के 21 फीसदी सीटों के साथ 13 से 15 सीटें जीत लेने की संभावना जताई गई है. बीजेपी की सहयोगी जेडीयू और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपीआर के हिस्से में क्रमशः 19 फीसदी और 6 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. एलजेपीआर को इस बार भी 5 सीटें मिलती लग रही हैं.

इंडिया गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों की बात करें तो बिहार में आरजेडी को 24 फीसदी और कांग्रेस को 10 फीसदी वोट मिलने जा रहे हैं – और सीटों की बात करें तो बिहार में आरजेडी को 6-7 सीटें और कांग्रेस को 1 से 2 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है.

2019 के आम चुनाव में एनडीए को बिहार की 40 में से 39 सीटें मिली थीं, जिसमें 17 सीटों पर चुनाव लड़ कर बीजेपी ने सभी सीटें जीत ली थी. नीतीश कुमार की जेडीयू को भी उतनी ही सीटें मिली थीं लेकिन वो 16 सीटें ही जीत पाई थी – क्योंकि एक सीट कांग्रेस के खाते में जमा हो गई थी.

झारखंड में बीजेपी के 8 से 10 सीटें जीत लेने की संभावना जताई जा रही है, जबकि 2019 में बीजेपी सूबे की 14 में 12 सीटें जीत लेने में सफल हुई थी.

2024 के एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक, झारखंड में इस बार कांग्रेस और सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों को ही बराबर यानी 2-3 सीटें जीत लेने का अनुमान है – और इसी तरह सुदेश महतो की पार्टी AJSU के भी एक सीट जीत लेने की संभावना है.

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और JMM यूपीए के बैनर तले चुनाव लड़े थे, जिसे 2 लोक सभा सीटों पर जीत मिली थी.

बिहार और झारखंड में बीजेपी को नुकसान क्यों?

ऐसे में जबकि बीजेपी को दक्षिण के तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भी एंट्री मिलने की संभावना लग रही है, और कर्नाटक में राज्य की सत्ता गंवा देने के बावजूद कांग्रेस पर खासी बढ़त हासिल कर रही है – बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में सीटों का नुकसान हैरान कर रहा है.

चुनावों से काफी पहले से ही बीजेपी बिहार में अकेले दम पर सारी सीटें जीतने का दावा कर रही थी, ओर तब अमित शाह के साथ साथ सारे बीजेपी नेता ढोल पीट पीट कर कह रहे थे कि नीतीश कुमार के लिए एडीए के दरवाजे बंद हो गये हैं – लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार और बीजेपी नेतृत्व के बीच बातचीत शुरू हुई, फटाफट मामला फाइनल हो गया.

दोनों तरफ से जोर शोर से हो रहा इनकार, एक दिन अचानक इकरार में बदल गया. राहुल गांधी के न्याय यात्रा के साथ बिहार में दाखिल होने के ठीक पहले नीतीश कुमार ने पाला बदल कर एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली.

बीजेपी के हिसाब से ये बहुत ही बड़े फायदे का सौदा था, क्योंकि साथ छोड़ने के बाद से ही नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में लग गये थे – और उनकी कोशिशों का ही नतीजा रहा कि देश में विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA ब्लॉक अस्तित्व में आया.

नीतीश कुमार की ही तरह ममता बनर्जी ने भी विपक्षी गठबंधन से दूरी बना ली, और बंगाल में ‘एकला चलो’ के रास्ते आगे बढ़ने का फैसला किया – ये बात अलग है कि ममता बनर्जी का फैसला गलत साबित होता लग रहा है, क्योंकि बीजेपी के पश्चिम बंगाल में बीजेपी के 26 से 31 सीटें जीत लेने का अनुमान लगाया गया है.

झारखंड में भी हेमंत सोरेन के जेल जाने का बीजेपी ने वैसे ही फायदा उठाने की कोशिश की थी, जैसे दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और तिहाड़ पहुंच जाने की. ईडी के एक्शन को बीजेपी अपने समर्थकों में ऐसे समझाने की कोशिश करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो चोरों को जेल भेजने की कोशिश कर रहे हैं. दिल्ली में तो बीजेपी का ये दांव चलता हुआ लग रहा है, लेकिन झारखंड में नहीं.

झारखंड में हेमंत सोरेन के जेल जाने का जेएमएम को भले ही बहुत फायदा होता न लग रहा हो, लेकिन बीजेपी का नुकसान तो साफ साफ नजर आ रहा है – और तमाम जुगत लगाने के बाद बावजूद बिहार में बीजेपी को फायदे की जगह नुकसान ही हो रहा है.

फर्ज कीजिये, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव बिहार में साथ चुनाव लड़े होते तो बीजेपी का क्या हाल होता?

एग्जिट पोल के नतीजे तो यही बता रहे हैं कि बिहार में बीजेपी के लिए नीतीश कुमार की बैसाखी के बिना खड़ा होना अभी तो संभव नहीं लगता – अगर बीजेपी ने नीतीश कुमार को अगले साल होने वाले बिहार चुनाव में ठिकाने लगाने का कोई फैसला किया है तो उस पर फिर से विचार करने की जरूरत लगती है, बशर्ते असली नतीजे भी एक्जिट पोल जैसे ही आ रहे हों.

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