नई दिल्ली. अशोक विश्वविद्यालय के छात्र गाजा में चल रहे युद्ध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं और उन्होंने कुलपति से इज़रायल स्थित तेल अवीव विश्वविद्यालय के साथ सभी शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग समाप्त करने का आग्रह किया है.अशोक विश्वविद्यालय छात्र सरकार जो कि एक एक निर्वाचित छात्र निकाय है, ने कुलपति को लिखे एक पत्र में कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन में शामिल संस्थानों के साथ विश्वविद्यालय का सहयोग न्याय और मानवाधिकारों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को कमजोर करता है.छात्र संगठन ने पत्र में कहा, “हम फ़िलिस्तीन में चल रहे नरसंहार को लेकर बहुत चिंतित हैं, जिसमें गाजा पर इज़रायली युद्ध के कारण कम से कम 34,596 फ़िलिस्तीनियों की जान चली गई है और 77,816 घायल हो गए हैं. चूंकि इज़रायली सेना की क्रूरता जारी है…विश्वविद्यालयों के छात्र अब सक्रिय रूप से अपने संस्थानों पर इजरायली विश्वविद्यालयों और विनिमय कार्यक्रमों का बहिष्कार करने के साथ ही गाजा पर युद्ध के बारे में खुली बातचीत करने के लिए कह रहे हैं. विश्वविद्यालयों में चल रहे विरोध प्रदर्शनों की भावना और परिणाम – कोलंबिया विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा शुरू किया गया प्रदर्शन… ये जीवंत उदाहरण हैं.”
छात्रों ने दावा किया कि हरियाणा के सोनीपत में स्थित अशोक विश्वविद्यालय ने तेल अवीव विश्वविद्यालय के साथ अनुसंधान साझेदारी, शिक्षण के लिए संकाय दौरे, छात्र गतिशीलता (आउटबाउंड और इनबाउंड), अनुसंधान सहयोग, अल्पकालिक अध्ययन के अवसरों के साथ-साथ संयुक्त कार्यक्रम भी चलाए हैं. संगठन ने कहा, “तेल अवीव विश्वविद्यालय के कार्यों के संबंध में प्रस्तुत साक्ष्यों के आलोक में, हम अपनी संस्था से तेल अवीव विश्वविद्यालय के साथ सभी संबंधों को तब तक तोड़ने का आग्रह करते हैं जब तक कि मुद्दों के समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते.”
छात्रों ने कहा, “तेल अवीव विश्वविद्यालय के इजरायली सेना के साथ घनिष्ठ संबंध और फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर कब्जे के लिए इसका समर्थन गंभीर नैतिक प्रश्न खड़े करता है. मानवाधिकार उल्लंघन में शामिल संस्थानों के साथ विश्वविद्यालय का सहयोग न्याय और मानवाधिकारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को कमजोर करता है.” छात्रों संघ ने आरोप लगाया, “इसमें एल्बिट सिस्टम्स जैसे इजरायली हथियार निर्माताओं के साथ तेल अवीव के संबंध शामिल हैं. तेल अवीव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आईओएफ के आचार संहिता का मसौदा तैयार करने, युद्ध अपराधों के लिए आईओएफ सदस्यों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने और सैन्य अभियानों को निर्देशित करने वाले सिद्धांतों का मसौदा तैयार करने में शामिल रहे हैं.”