रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के लद्दाख के लेह में जवानों संग होली मनाई. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में जवानों के साथ होली मनाने के लिए पहुंचने वाले थे.
लेकिन खराब मौसम के कारण उन्हें सियाचिन का दौरा टालना पड़ा. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रक्षा मंत्री ने लेह में ‘हॉल ऑफ फेम’ पर देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों को याद करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की.
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मेरा पहला दौरा सियाचिन का था
राजनाथ सिंह ने कहा कि पांच साल पहले जब रक्षा मंत्रालय का दायित्व मुझे मिला था, तो उसी दिन ही मैंने प्लान किया और मेरा पहला दौरा सियाचिन का था. आज मौसम खराब होने के कारण सियाचिन जाना संभव नहीं हो पाया. इसलिए वहां तैनात सभी सैनिकों को यहीं लेह से होली की शुभकामनाएं देता हूं. रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं अनेक अवसरों पर अपने जवानों से मिलता रहता हूं. लेकिन होली के अवसर पर आप लोगों से मिलना और आपके साथ होली खेलना, मेरे लिए सबसे सुखद क्षणों में से एक है.
‘होली का पर्व मनाने मैं अपने परिवार के बीच आया हूं’
उन्होंने कहा कि उत्सव और त्यौहार मनाने का आनंद अपनों के बीच ही आता है. भारत तो पर्व और त्योहारों का देश है. होली, दीपावली, ईद, क्रिसमस जैसे अनेक त्योहारों के समय लोग चाहे जहां कहीं भी रहें, लेकिन इस समय अपने परिवार वालों के बीच लौटते हैं. अपने परिवार वालों के साथ खुशियां बांटते हैं. वही खुशियां बांटने और होली का पर्व मनाने मैं अपने परिवार के बीच आया हूं. मैं अपने परिवार वालों के साथ रंग खेलने आया हूं.
देशवासियों को दी होली की शुभकामना
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आप सभी सैनिक होने के नाते भारत के प्रत्येक परिवार के सदस्य हैं. मैं भारत के सभी परिवारों के प्रेम का रंग लिए आपके बीच आया हूं. आप भले ही मुझे एक रक्षा मंत्री के रूप में यहां देख रहे होंगे, लेकिन मैं एक रक्षा मंत्री के रूप में नहीं, बल्कि आपके स्वजन के रूप में होली के दिन अपने परिवार वालों से मिलने आया हूं. मैं देशवासियों की, होली की शुभकामनाओं के साथ-साथ, आपके लिए उनका आशीर्वाद लाया हूं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम सब जानते हैं कि भारत में एक परंपरा है कि जब भी हमारे यहां कोई शुभ अवसर आता है, तो उसकी शुरुआत हम अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना के साथ करते हैं. हम भोज भी करते हैं, तो पहले ईश्वर को भोग लगाने की विधि होती है.
उन्होंने कहा कि हड्डियों को कंपा देने वाली सर्द हवाएं जब इन वादियों में बहती हैं, जब हर कोई अपने घरों में दुबक जाना चाहता है, तो उस परिस्थिति में भी आप मौसम से लोहा लेकर, उसकी आंखों आंखे डालकर खड़े होते हैं. इस अटूट इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करने के लिए देश सदैव आपका ऋणी रहेगा. आने वाले समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा का इतिहास लिखा जाएगा, तब बर्फीले ठंडे ग्लेशियर में उबाल लाने वाली आपकी वीरता के कार्यों को गौरव के साथ याद किया जाएगा.
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज आपके बीच आकर मैं जो महसूस कर रहा हूं, वह मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूं. भारतीय सेना, इच्छाशक्ति और साहस का दूसरा नाम है. आपके बीच आकर, मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरे रगो में रक्त की नई धारा का संचार होने लगा है. आप जिस ऊंचाई पर खड़े होकर, इतनी विषम परिस्थिति में देश की सेवा करते हैं, वह अतुलनीय है.