‘बृजभूषण शरण सिंह मेरे बड़े भाई की तरह’, क्या बोले कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह

निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के चुनावों में अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की। उनके पैनल ने 15 में से 13 पद पर विजय पताका लहराया।उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय को 40 और उनकी प्रतिद्वंद्वी व राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता अनिता श्योराण को सिर्फ 7 मत मिले। RSS से जुड़े संजय वाराणसी के रहने वाले हैं और बृजभूषण के बहुत करीबी सहयोगी हैं। निवर्तमान प्रमुख की खेल में जबरदस्त रुचि को देखते हुए यह उम्मीद है कि संजय नीतिगत निर्णयों में उनसे सलाह लेंगे।संजय ने चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद कहा, ‘यह देश के हजारों पहलवानों की जीत है जिन्हें पिछले 7-8 महीनों में नुकसान उठाना पड़ा है।’ महासंघ के अंदर चल रही राजनीति के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा कि हम राजनीति का जवाब राजनीति और कुश्ती का जवाब कुश्ती से देंगे।’ उन्होंने कहा कि यह चुनाव पहले दिन से ही हमारे हाथ में था। मतदान हुआ और जो होना था वो हो गया। आखिरकार सच्चाई की जीत हुई है। सिंह ने कहा, ‘हमने पहलवानों के लिए जितना काम किया है, उसे देखते हुए हमें विश्वास था। पहलवान जानते हैं यहीं से उनका भला होने वाला है।’

संजय सिंह बोले- हम एक-दूसरे को उस समय से जानते हैं जब…
संजय सिंह ने कहा कि उनका और बृजभूषण का रिश्ता काफी पुराना है। उन्होंने कहा, ‘हमारे बीच बड़े और छोटे भाई का रिश्ता है। हम एक-दूसरे को उस समय से जानते हैं जब हमारे परिवार काशी और अयोध्या में कुश्ती का आयोजन करते थे।’ चुनावों के नतीजों के बाद उम्मीद के मुताबिक WFI कार्यालय में उत्सव का माहौल था और बृजभूषण के समर्थक जीत के नारे लगा रहे थे। डब्ल्यूएफआई का कार्यालय भाजपा सांसद बृजभूषण के बंगले में है और वहां ‘संजय भैया क्या लेकर चले, बृजभूषण की खड़ाऊ लेकर चले’ जैसे नारे सुनने को मिले। बृजभूषण ने आश्वासन दिया कि कोई प्रतिशोध की राजनीति नहीं होगी और अगर विरोध करने वाले पहलवान कुश्ती जारी रखना चाहते हैं तो उनके साथ पूरी निष्पक्षता से व्यवहार किया जाएगा।जब बृजभूषण से पूछा गया कि क्या महासंघ उन पहलवानों का समर्थन करेगा जिन्होंने उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू किया था तो उन्होंने कहा, ‘कोई पक्षपात नहीं होगा। सभी को डब्ल्यूएफआई से समर्थन मिलेगा।’ उन्होंने आश्वासन दिया कि हमें खेल पर ध्यान देना है, ना कि पहलवानों की गलतियों पर। अगर उन्हें अपनी गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ेगा तो महासंघ निष्पक्ष नहीं रहेगा। चुनाव प्रक्रिया जुलाई में शुरू हो गई थी लेकिन अदालत में विभिन्न मामलों के कारण इसमें देरी हुई। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की ओर से लगाई गई रोक को रद्द कर दिया, जिससे डब्ल्यूएफआई की नई संचालन संस्था के चुनाव की प्रक्रिया का रास्ता साफ हुआ।
(एजेंसी इनपुट के साथ)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *