पाकिस्तान में बुजुर्ग ईसाई की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। हत्या निराधार ईशनिंदा के आरोपों के कारण हुई है। हालिया घटनाक्रम से पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की भयानक दुर्दशा का एक और जीवंत उदाहरण सामने आ गया है।
पाकिस्तानी नागरिक फराज परवेज का कहना है कि देश का एक और काला अध्याय बुजुर्ग नजीर मसीह की हत्या के साथ खत्म हुआ। बता दें, परवेज ईसाई धर्म को मानते हैं और उन पर भी ईशनिंदा का आरोप है।
परवेज ने कहा कि मसीह की कहानी अकल्पनीय दर्द और अन्याय की कहानी है। उनकी दास्तां पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को उजागर करती है। उन्होंने कहा कि एक बुजुर्ग को तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने निशाना बना दिया। कट्टर भीड़ ने मसीह को बेरहमी से प्रताड़ित किया और उसकी हत्या कर दी। हमले में दो ईसाई सदस्य समेत 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
भीड़ ने ईसाइयों के घरों को जला दिया
भीड़ ने ईसाइयों के घरों और अन्य संपत्तियों पर तोड़फोड़ करने से साथ उन्हें आग के हवाले कर दिया। पुलिस के अनुसार, भीड़ ने एक बुजुर्ग ईसाई नजीर मसीह उर्फ लजार मसीह पर कुरान का अपमान करने का आरोप लगाते हुए उनके आवास और जूते की फैक्टरी को घेर लिया। उन्होंने जूते की फैक्टरी में आग लगा दी।
10 पुलिसकर्मी भी घायल
एफआईआर में बताया गया, आग में मसीह को भी बेरहमी से जला दिया गया। समय पर पुलिस के पहुंचने से मसीह और ईसाई समुदाय के 10 सदस्यों को बचा लिया गया। कुराण के कुछ पन्ने जूते की फैक्टरी के बाहर पाए गए। मसीह का कंबाइंड मिलिट्री अस्पताल में इलाज हो रहा था, लेकिन रविवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके भतीजे इरफान गिल मसीह ने मौत की पुष्टि की। हालांकि, मृतक के परिवार ने बेअदबी के दावों से इनकार करते हुए कहा कि भीड़ उसे पीटना चाहती थी। जब पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की, तो उन्होंने (भीड़) ने पथराव किया, इसमें 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस मामले में पुलिस ने 140 संदिग्धों को गिरफ्तार किया।
बता दें कि पिछले साल फैसलाबाद जिले की जारनावाला तहसील में ईसाइयों के कम से कम 24 चर्च और 80 से अधिक घरों को भीड़ ने जला दिया। भीड़ ने दो ईसाइयों पर कुरान का अपमान करने का आरोप लगाया था।