नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार की बिना अप्रूवल के सीबीआई जांच किए जाने के खिलाफ दाखिल ममता सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि ईडी और सीबीआई बिना इजाजत राज्य में घुसती है. जब्त की गई नकदी गिनने आते हैं जबकि इनके मौजूदा मंत्री और सांसदों से 50 करोड़ की नकदी बरामद हुई थी.
इस पर पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने एसजी की दलील पर आपत्ति जताई. सिब्बल ने कहा कि सामान्य सहमति या अधिसूचना के बिना एजेंसियां राज्य में प्रवेश नहीं कर सकतीं. जस्टिस गवई ने सिब्बल से पूछा कि केन्द्र सरकार की दलील है कि सभी मामले हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज किए गए थे.
सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट ऐसा कर सकता हैं और मैंने अपनी अर्जी में भी यही कहा है. एजेंसी हाईकोर्ट के अधीन है, लेकिन केन्द्र हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. सिब्बल ने कहा कि जब संसद में सीबीआई पर कोई प्रश्न पूछा जाता है, तो इसका उत्तर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) देता है. मंत्री उत्तर देते हैं, क्योंकि इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है.
एसजी मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि सिब्बल की किसी भी आलोचना का जवाब देने के लिए उनके पास कोई यूट्यूब चैनल नहीं है. एसजी वरिष्ठ वकील के यूट्यूब चैनल ‘दिल से विद कपिल सिब्बल’ का हवाला दे रहे थे, जिसमें वे विभिन्न राजनीतिक नेताओं, वकीलों और डोमेन विशेषज्ञों के साथ सामयिक मुद्दों पर साक्षात्कार और चर्चा करते रहे हैं. तुषार मेहता ने यह दलील न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य से संबंधित मामलों में सीबीआई के कथित दुरुपयोग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ दायर मुकदमे की सुनवाई के दौरान की है.