दो गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि वह चुनावी बॉन्ड योजना में राजनीतिक दलों, कॉरपोरेट संस्थाओं और जांच एजेंसियों के अधिकारियों की ओर से कथित तौर पर परस्पर लाभ पहुंचाने से जुड़े मामलों की जांच अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल से कराए।उन्होंने अदालत से इस संबंध में उनकी जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने की अपील की।न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने गैर सरकारी संगठनों ‘कॉमन कॉज’ और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण की इस दलील का संज्ञान लिया कि याचिका को जल्द से जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है।न्यायमूर्ति खन्ना ने भूषण से कहा, ”सीजेआई के कार्यालय को इसकी जानकारी है। इसे सूचीबद्ध किया जाएगा।”पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को भाजपा सरकार की ओर से शुरू की गई चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था।एनजीओ की ओर से दायर याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना को घोटाला करार देते हुए विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने वाली मुखौटा कंपनियों व घाटे में चल रही कंपनियों के स्रोतों की जांच के लिए प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।याचिका में अधिकारियों को कंपनियों द्वारा दान में दिए गए धन को जहां यह अपराध की आय के रूप में अर्जित किया गया हो, वापस लेने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है।शीर्ष अदालत के फैसले के बाद चुनावी बॉन्ड योजना के तहत अधिकृत वित्तीय संस्थान भारतीय स्टेट बैंक ने चुनाव आयोग (ईसी) के साथ योजना की जानकारी साझा किया की थी, जिसने बाद में इसे सार्वजनिक कर दिया।