शेखर सुमन में बताया ‘तवायफ’ और ‘सेक्स वर्कर’ में फर्क, बोले- तब बच्चों को भी हीरामंडी भेजते थे लोग

संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘हीरामंडी’ में जुल्फिकार का किरदार निभाने वाले एक्टर शेखर सुमन ने बताया कि हम सेक्स वर्कर्स और तवायफों को एक ही खांचे में नहीं रख सकते। ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ में आजादी की लड़ाई में तवायफों के योगदान के बारे में दिखाया गया है।शेखर सुमन ने एक इंडरव्यू के दौरान बताया कि तवायफों को समाज ने हमेशा गलत चश्मे से देखा है और उन्हें सेक्स वर्कर्स का तमगा दिया है।

तवायफ और सेक्स वर्कर में क्या फर्क!

शेखर सुमन ने रेडियो सिटी के साथ बातचीत में कहा, “यह समाज ही है जिसने उन्हें इस तरह बना दिया। सीरीज में कई बार कहा गया है कि कोई भी औरत अपनी मर्जी से तवायफ नहीं बनती। हालात किसी औरत को जिस्मफरोशी के धंधे में जाने के लिए मजबूर करते हैं। इन सारी चीजों के बावजूद उनका सवाज में योगदान बहुत अहम है। जहां से हम आते हैं, जिस तरीके के भूख जो मर्दों में है, उसका जो चैनलाइज वहां होता है उसकी वजह से समाज बचा रहता है।”

बच्चों को हीरामंडी भेजा करते थे लोग

शेखर सुमन ने इससे पहले अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि स्कूल पूरा करने के बाद लोगों को ‘हीरामंडी’ भेजा जाता था ताकि वो तमीज और तहजीब सीख सकें। वो प्यार करना, कविता, म्यूजिक और डांस सीख सकें। बच्चों को वहां भेजा जाता था, नवाब उनसे बहुत कुछ सीखा करते थे। हीरामंडी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यह एक बहुत बड़ा इंस्टीट्यूट था। लेकिन हमने तवायफों को हमेशा एक अलग चश्मे से देखा है। तवायफ होने में कुछ गलत नहीं था। हीरामंडी में उनका आजादी में योगदान भी दिखाया गया है, जो कि अहम था।

विदेशों में भी हिट हो गई यह सीरीज

उनका किसी ने गुणगान नहीं किया। बता दें कि लाहौर में स्थित एक रेड लाइट एरिया ‘हीरामंडी’ पर बनी यह वेब सीरीज अनाउंसमेंट के साथ ही सुर्खियों में आ गई थी। संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी इस सीरीज में मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा और संजीदा शेख ने अहम किरदार निभाए हैं। सीरीज इंडिया ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब तारीफें लूट रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *